जिस की थी तलाश,
वो तलाश आज मेरी पुरी हो गयी !
जो कभी थी गुमनाम राहे,
उन्हें आज मंजिल हासिल हो गयी!
छट गया सारा अँधेरा,
एक नयी रोशनी शामिल हो गयी!
टूटा था जो होंसला जीने का,
उसे मुक़र्रर ज़िन्दगी हो गयी!
जर्जर थे जो ख्वाब,
उनकी एक मेहरम सी हो गयी!
बासी पड़ी थी ज़िन्दगी,
तेरे मिलने के बाद ताज़ी हो गयी!
जिस की थी तलाश,
वो तलाश आज मेरी पूरी हो गयी!