जिस की थी तलाश,
वो तलाश आज मेरी पुरी हो गयी !
जो कभी थी गुमनाम राहे,
उन्हें आज मंजिल हासिल हो गयी!
छट गया सारा अँधेरा,
एक नयी रोशनी शामिल हो गयी!
टूटा था जो होंसला जीने का,
उसे मुक़र्रर ज़िन्दगी हो गयी!
जर्जर थे जो ख्वाब,
उनकी एक मेहरम सी हो गयी!
बासी पड़ी थी ज़िन्दगी,
तेरे मिलने के बाद ताज़ी हो गयी!
जिस की थी तलाश,
वो तलाश आज मेरी पूरी हो गयी!
Good one
ReplyDeletePragnya Ji thank you so much :) :)
DeletePragnya Ji thank you so much :) :)
Deleteawesome Sir
ReplyDeletenice poem om ji, privious too
ReplyDeletethanks Tarun I hope you like all comings poem too :) :)
DeleteBhai awesome work. :)
ReplyDeleteThanks Yuvraj :) :)
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